raga des
राग देस की उत्पत्ती खमाज थाट से हुई है।
थाट : खमाज
जाती : आडव - संपूर्ण
वादी : गंधार, संवादी : निषाद
न्यास :
स्वर : आरोहमें गंधार और धैवत वर्ज्य। आरोह में शुद्ध नीषाद और अवरोहमें निषाद कोमल ईस प्रकार ईस राग में दोनो निषाद प्रयोग किये जाते है
गायन समय : रात्री का व्दितीय प्रहर
प्रक्रुति : चंचल
आरोह : सा रे म प नी सां
अवरोह : सां नी ध प म ग रे ग सा
पकड : रे म प, नी ध प, ध म ग रे ग नी. सा
सरगम गीत :
त्रिताल : स्थायी
सा रे - म।प नी - नी।सां - सां रे। सां नी ध प
० ३ × २
म ग रे -।नी ध प -।सां नी ध प।म ग रे सा
० ३ × २
अंतरा :
म प नी नी।सां नी सां -।नी सां रे -।मं गं रें सां
० ३ × २
सां रें सां नी।सां नी ध प।सां नी ध प।म ग रे सा
० ३ × २
बंदिश/छोटा ख्याल
दादरा : स्थायी
पनी सांरें रेंसां।नी ध प।प ध म।ग ग म
चंS SS चS ।ल छ न ।क्रु S ष्ण ।का S न्ह
× ० × ०
रे म ग।नी. सा सा।रे म - ।ग रे -
प र व।श मो हे। छे S S ।डे S S
× ० × ०
रे प म।प - - ।प सां नी।सां - -
छे S S lडे S S lछे S S lडे S S
× ० × ०
पनी सांरें रेंसां ।नीध पम प
छेS SS SS । डेS SS S
रे प म।प - - ।प सां नी।सां - -
छे S S lडे S S lछे S S lडे S S
× ० × ०
छेS SS SS । डेS SS S
× ०
अंतरा
म म प।नी - नी।नी सां नी।सां सां सां
नं द के।ला S ल।छै S ल।छ बि ले
× ० × ०
प प नी।नी सां सां।प नीसां रे।नी ध प
न ट ख।ट मो से।क रत S।छे S ड
× ० × ०
प प रें। - रें गं ।गंरें मं गंरें।गं नी सां
ज मु ना।S ज ल।भS र नS।जा S त
× ० × ०
प प नी।नी सां सां।पनी सांरें रेंसां।नीध पम प
प न घ।ट मो हे।घेS SS SS l रेS SS S
× ० × ०
Dhanvad guruji ...🙏🙏
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