raga des
राग देस की उत्पत्ती खमाज थाट से हुई है। थाट : खमाज जाती : आडव - संपूर्ण वादी : गंधार, संवादी : निषाद न्यास : स्वर : आरोहमें गंधार और धैवत वर्ज्य। आरोह में शुद्ध नीषाद और अवरोहमें निषाद कोमल ईस प्रकार ईस राग में दोनो निषाद प्रयोग किये जाते है गायन समय : रात्री का व्दितीय प्रहर प्रक्रुति : चंचल आरोह : सा रे म प नी सां अवरोह : सां नी ध प म ग रे ग सा पकड : रे म प, नी ध प, ध म ग रे ग नी. सा सरगम गीत : त्रिताल : स्थायी सा रे - म।प नी - नी।सां - सां रे। सां नी ध प ० ३ × ...